Tumhe Dillagi Lyrics हिंदी मे ।सताते हो दिन रात | Nusrat Fateh Ali Khan | Hindilyricsbundles

 

Tumhe Dillagi Original Song by Nusrat Fateh Ali Khan | Full Song with Lyrics | Musical Maestros - Ustad Nusrat Fateh Ali Khan Lyrics




Singer Ustad Nusrat Fateh Ali Khan
Music Ustad Nusrat Fateh Ali Khan
Song Writer Ustad Nusrat Fateh Ali Khan



 


 

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पडेगी -2
मुहब्बत की राहों में आ कर तो देखो
तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पडेगी
मुहब्बत की राहों में आ कर तो देखो
तरपने पे मेरे न फिर तुम हांसो गे
तरपने पे मेरे न फिर तुम हांसो गे
कभी दिल kissi से लगा कर देखो
होंटो के पास आऐ हसी, क्या मजाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं
ज़ख्म पे ज़ख्म खा के जी
अपने लहू के घूट पी
आह न कर लबों को सी
इश्क है दिल्लगी नहीं
दिल लगा कर पता चले गा तुमें
आशिकी दिल्लगी नहीं होती
कुछ खेल नहीं है इश्क की लागी
पानी न समझ ये आग है आग
खून रूलेयेगी ये लगी दिल की
खेल समझो न दिल्लगी दिल की
ये इश्क नहीं आसान:
बस इतना समझ लीजिए
इक आग का दरिया है
और डूब के जाना है
तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पडेगी
मुहब्बत की राहों में आ कर तो देखो
तरपने पे मेरे न फिर तुम हांसो गे
तरपने पे मेरे न फिर तुम हांसो गे
कभी दिल kissi से लगा कर देखो करने के लिए
वफ़ाओं की हम से तवाको नहीं है
...
वफ़ाओं की हम से तवाको नहीं है

जमाने को अपना बना कर तो देखा
हमें भी तुम अपना बना कर तो देखो
खुदा के लिया छोड दो अब ये परदा...
रुख से नकाब उठा, के बडी देर हो गई
महोल को तिलावत-ए-कुरान किए हुए
खुदा के लिए छोड दो अब ये परदा...
हम न समझ तेरी नजरों का तकाजा क्या है
कभी परदा कभी जलवा ये तमाशा क्या है
खुदा के लिए छोर दो अब ये परदा...
जन-ए-जान हम से उलझन नहीं देखी जाति
खुदा के लिए छोर दो अब ये परदा...
खुदा के लिया छोर दो अब ये परदा
कह हैं आज हम तुम नहीं ग़ैर कोई
शब-ए-वस्ल भी है हिजाब इस कदर क्यों
जरा रुख से आंचल उठा कर तो देखो
जफ़ाएं बुहत कि बुहत ज़ुल्म ढाए
कभी इक निगाह-ए-करम इस तरह भी
हमेंशा हुए देख कर मुझको बरहम
Kissi दिन ज़रा मुस्कुरा कर देखो
जो उल्फत में हर एक सितम है गवरा
ये सब कुछ है पास-ए-वफ़ा तुम से वर्ना
सतात्ते हो दिन रात जिस तरह मुझे को
Kissi Ghair ko यूँ sata कर के देखो
Agarje kissi बात बराबर वो Khafa hain
तो अच्छा यही है तुम अपनी सी कर लो
वो माने न मनने ये मर्जी है उनकी
मगर उन को पुर-नम मन कर तो देखो
तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पारे गी
मुहब्बत की राहों में आ कर तो देखो
मुहब्बत की राहों में आ कर तो देख

 













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