Aarti Lyrics हिंदी में | Bhuj: The Pride Of India | Sonakshi S |Shankar M, Priya M, Sonali C|Hindilyricsbundles

 

Aarti (Lyrics) | Bhuj: The Pride Of India | Sonakshi S |Shankar M, Priya M, Sonali C,Amar M, Abhilash - Shankar Mahadevan, Priya Malik, Sonali Chandratre Lyrics




Singer Shankar Mahadevan, Priya Malik, Sonali Chandratre
Music Amar Mohile
Song Writer Abhilash







सूरज की लाली तुझे तिलक लगाती है
बगिया कि डाली डाली पुश्प चढाती है
पुर्वायी आके तेरा भवन बुहार्ती
बर्खा की जलधारा चरन पखारती

रिध्धी सिध्धी तुझसे से है तुझसे ही ग्यान
एक दंत दया वंत देवो मे महान है
आदि है अनादि तु तु हि विश्व मे स्र्वेश्वराय
काज करे विघ्न हरे तू ही विघ्नेश्वाराय
धरती है तुझसे ही गगन विशाल है
तुझ्से ही जीवन ये तू ही महाकाल है
अंत का आरम्भ तु ही वेद का तू सार है
आती जाती रितुओ पे तेरा उपकार है
जय गनेश जय गनेश जय गनेश गनेश गनेश गनेशा...
जय गनेश जय गनेश जय गनेश गनेश गनेश गनेशा...हे
जय गोविंदा हे कृष्ना गोविंदा हे कृष्ना
जय गोविंदा हे कृष्ना गोविंदा हे कृष्ना
गोविंदा
शेष है अशेष तु ही छाव है तू धूप है
राम है तू कृष्न है तू शिवजी का रूप है
डर के अंधेरो को दिलो से निकाल दे
भश्म करे बेरियो को जोश की मशाल दे
नैन मुंद तेरे आगे शीष को झुकाते है
गजानना गुन तेरे हम सब गाते है
वक्रतुंड बन जाये तेरी ही पहचान हम
दुश्मनो के वास्ते हो मौत का एलान हम

हे गोविंदा हे कृष्ना गोविंदा हे कृष्ना
हे गोविंदा हे कृष्ना गोविंदा हे कृष्ना
गोविंदा
श्री गनेशा... श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...

श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...

आ......
आ;;;;
गोविंदा गोपाला गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला
गोविंदा गोपाला

इंद्र जिमि जम्भ पर बाड वसु अम्ब पर
रावण सदम्भ पर रघुकुल राज है
पवन बारि बाह पर शम्भु रति नाह पर
जो साह्स बाह पर राम ध्वज राज है

हे गोविंदा हे कृष्ना गोविंदा हे कृष्ना
हे गोविंदा हे कृष्ना गोविंदा हे कृष्ना
गोविंदा
दावा उदंड पर चीता म्रग झुंड पर
भुषन भीदुंड पर जेसे म्रगराज है
तेज तवा अंश पर काम जिमि कंश पर
व्योम्लेज वंश पर शेष शिवराज है
जय भवानी जय शिवाजी
जय भवानी जय शिवाजी

दोल्तो का शोहरतो का हमको ना दान दे
हमको तो जंग मे तु जीत का वरदान दे
डर के अंधेरो को तु जोश का उजाला दे
भष्म करे बेरियो को क्रोध वो ज्वाला दे
वक्रतुंड बन जाये तेरी ही पहचान हम
दुश्मनो के वास्ते हो मौत का एलान हम

गंनेशा गंनेशा गंनेशा
गंनेशा गंनेशा गंनेशा
गंनेशा
...........

धेर्या है धरा का तू ही तु वतन विशाल है
है अजय अभय है तू ही तू ही महाकाल है
शेष है अशेष तु ही छाव है तू धूप है
राम है तू कृष्न है तू शिवजी का रूप है

श्री गनेशा... श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...
श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...

श्री गनेशा... देवा श्री गनेशा ...

साज चतुरंग सेन अन्ग मे तू ऊमन्ग धरी
सर्जा सी राज जंग जीतने चलत है
भुषन घंनर्त नाथ बिहद नगा रन के
नदी नगे मद गेप रन के रनत है
खैल खैल खैल खैल खलक दे खैल खैल
गजल की खैल खैल शैल उस लत है
तारा सो तरूनी धुरी धारा मे लगती जिमि
धारा पर बार बार बार यो हर्न है












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